हैलो दोस्तों! नमस्कार! आपके अपने वेबसाइट nccinfo.net पर स्वागत है । दोस्तों आज हम बात करेंगे रंगों से सजी पर्व होली (HOLI Feast and HOLIKA DAHAN Celebration 2024 ) के बारे में। भारत त्योहारों का देश है। यहाँ हर दिन हर पल त्योहार जैसा ही प्रतीत होता है। मकर संक्रांति, सरस्वती पूजा, दुर्गा पूजा, दीपावली, पोंगल, बैसाखी, गणेश चतुर्थी न जाने कितने पर्व त्योहार हैं।
इन सभी त्योहारों में ही एक होली है जो रंगों का पर्व है। बसंत ऋतु की आगमन पर यह मदनोत्सव अर्थात होली का शुभारंभ होता है। जहां प्रकृति रंग में रंगी नज़र आती है। चारों तरफ हरे रंग की हरियाली और फूलों से लदी पेड़ पौधे जहां प्रकृति को अपने रंग में शराबोर कर रही होती है।
भवरे पंछियों और अन्य जीव जंतु जहां प्रकृति के रंगों में लोटपोट कर रहे होते हैं। प्रकृति के रंगों में मस्त मनुष्य का मन भी प्रकृति के रंगों से लिपट जाना चाहता है।
सारे गम और उदासी को छोड़कर रंगों की चादर में लिपटकर खुशियों की हासिल करने के चक्कर में मनुष्य पागल होने को आतुर होता है। तभी तो कहा गया है :
रंगों का त्योहार मनोहर ,
राग रंग की दिन निराली।
रंगों में लिपट कर आयी,
हम सब की त्योहार होली।
भारत में त्यौहार उत्सव क्यों है? (HOLI Feast and HOLIKA DAHAN Celebration 2024 )
भारत में हर पर्व मनाने के पीछे कोई ना कोई ऐतिहासिक और वैज्ञानिक वजह है। कई पौराणिक कहानियां इन से जुड़ी होती हैं। यह कहानी समाज को सही दिशा देती है।
लोगों के मन मस्तिष्क में सदमार्ग, सद्बुद्धि और शांति देती है। साथ ही साथ उन्हें नए उत्साह और जोश देती है। उनके आगामी समय को और बेहतर बनाता है और उन्हें नए कार्यों के लिए जोश प्रदान करता है।
होली मनाने का कारण क्या है? (HOLI Feast and HOLIKA DAHAN Celebration 2024)
होली मनाने के पीछे कई कारण हैं। इन से जुड़ी हुई कई पौराणिक कहानीयां (HOLI Feast and HOLIKA DAHAN Celebration 2024) हैं। एक कहानी राजा हिरण्यकशिपु और उनके बेटे प्रहलाद से जुड़ी हुई है।
कहा जाता है कि राजा हिरण्यकशिपु भगवान विष्णु का घोर विरोधी था। उनके राज्य में जो कोई भी भगवान विष्णु का नाम लेता था या उनकी पूजा करता था उन्हें वह मृत्यु दंड देता था। वह स्वयं को भगवान मानता था।
राजा हिरण्यकशिपु की दूसरी पत्नी नागकन्या कयाधु थी। हिरण्यकशिपु की दूसरी पत्नी से ही प्रहलाद का जन्म हुआ था। प्रहलाद बचपन से ही भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहने लगा। भगवान विष्णु की भक्ति में वह इतना लीन हो गया की उसका रोम रोम भगवान विष्णु को पुकारता था।
सोते जागते उसके रोम रोम से भगवान विष्णु की पुकार आती थी। जब राजा हिरण्यकश्यप को यह जानकारी मिली तो अत्यंत क्रोधित हो गया। उसने प्रहलाद को कई तरह की सजा देना प्रारंभ किया। हर बार प्रहलाद मृत्यु से बच जा रहा था।
उसे पहाड़ से फेंक दिया गया, बिष दिया गया, सांप से भरे कमरे में रख दिया गया पर प्रहलाद हर बार बच निकला। राजा हिरण्यकश्यप की एक बहन होलीका थी। होलिका को ब्रह्मा जी से वरदान मिला हुआ था। उसे एक चादर मिली थी। उस चादर को लेकर जब वह अग्नि में प्रवेश करती थी तो अग्नि उसे जला नहीं पाती थी।
राजा हिरण्यकश्यप अपनी बहन को आदेश दिया कि वह प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर उसे चादर की सहायता से अग्नि में प्रवेश करें। बड़ी अग्नि के जलते ज्वाले के बीच होलीका प्रहलाद को गोद में लेकर प्रवेश कर गई।
पर यह क्या? होलिका धू धू कर जल गई और प्रहलाद मुस्कुराते हुए आग से बाहर आ गया। राजा हिरण्यकश्यप को अपनी बहन की मृत्यु पर बहुत गुस्सा आया और वह प्रहलाद को पूछा कि तुम्हारा विष्णु कहां है? प्रह्लाद ने जवाब दिया हमारे प्रभु भगवान विष्णु हर जगह मौजूद हैं। (HOLI Feast and HOLIKA DAHAN Celebration 2024)
फिर हिरण्यकशिपु ने पूछा क्या इस खंभे में भी भगवान विष्णु है? प्रहलाद हां में जवाब दिया। हिरण्यकश्यप ने उसे खंबे पर गदा का वार किया। भगवान विष्णु खंभे को फाड़ते हुए नरसिंह अवतार में प्रकट हुए और हिरण्यकश्यप को मृत्यु प्रदान की। बुराई पर अच्छाई की जीत के अवसर पर आज तक होली मनाई जाती है।
इसके अलावा भी होली मनाने के पीछे कई पौराणिक कहानी है। कामदेव और शिव की कहानी, राजा पृथु और राक्षसी ढूंढी की कहानी, श्री कृष्णा और पूतना की कहानी। पर इन सबमें राजा हिरण्यकशिपु और भक्त प्रहलाद की कहानी ही मुख्य तौर पर होली मनाने के पीछे का वजह है।
होलीका क्या है? इसमें क्या किया जाता है?(HOLI Feast and HOLIKA DAHAN Celebration 2024 )
होली से एक दिन पूर्व होलीका दहन (HOLI Feast and HOLIKA DAHAN Celebration 2024) जलाई जाती है। इसके लिए पुराने लकड़ी और बेकार की वस्तुओं का फिर ढेर लगाया जाता है। यह बेकार की वस्तुओं का ढेर उदासी उत्पीड़न और बुराइयों का प्रतीक होता है। फिर इसमें आग लगाई जाती है। कहा जाता है कि इससे भक्त प्रहलाद बाहर आते हैं। यहां भक्त प्रहलाद आनंद उत्साह प्रेम और खुशी का प्रतीक है।
होली कब मनाया जाता है?(HOLI Feast and HOLIKA DAHAN Celebration 2024 )
शिशिर ऋतु के समाप्ति पर बसंत का आगमन होता है। बसंत ऋतु में प्रकृति विभिन्न तरह के रंगों में शराबोर हो जाती है। ऐसा लगता है जैसे सारी प्रकृति ही होली खेल रही है।
बसंत पंचमी अर्थात सरस्वती पूजा के दिन से ही अबीर और गुलाल प्रारंभ हो जाता है। माघ महीने के बसंत पंचमी को अबीर और गुलाल खेला जाता है। इसके अगले महीने फागुन की समाप्ति अर्थात फागुन पूर्णिमा को होली मनाया जाता है।
होली में भी दो होलीयां होती हैं। एक छोटी होली और दूसरी बड़ी होली। छोटी होली के दिन लोग कीचड़ से होली खेलते हैं। बड़ी होली के दिन लोग दिन भर रंगों में शराबोर होते हैं। शाम में अबीर लगाकर खेलते हैं।
गांव में एक नृत्य मंडली होती है। नृत्य मंडली में गांव के ही लोग होते हैं। जो गाना गाने के साथ-साथ जोगीरा भी पढ़ते हैं। कई तरह के जोगीरा होते हैं जिसमें वह सारा रा रा रा रा रा करते हैं।
होली के अवसर पर विभिन्न तरह के पकवान : (HOLI Feast and HOLIKA DAHAN Celebration 2024 )
होली के अवसर पर सभी एक दूसरे के घर जाकर अबीर गुलाल लगाते हैं। साथ ही साथ कुछ ना कुछ सबको खिलाया जाता है। जिस दिन होलिका को जलाया जाता है उस दिन शाम में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं।
कचरी बरी बगैचा और न जाने कितने तरह के पकवान बनाए जाते हैं। जिस दिन होली खेला जाता है उस दिन कई तरह की मिठाइयां, खीर पूरी, सब्जी, दही वड़ा और कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं। सब एक दूसरे के घर खाना खाते हैं, गले मिलते हैं और आपस के वैर को मिटाते हैं। होली उत्साह का पर्व है यह मन के उदासी को दूर करता है। और लोगों के जीवन में नया उत्साह लाता है।
होली के पीछे वैज्ञानिक कारण क्या है ?(HOLI Feast and HOLIKA DAHAN Celebration 2024 )
दुनिया भर में आज होली अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। कहीं मड डे मनाया जाता है तो कहीं पर टोमेटो डे मनाया जाता है। कई देशों में टोमेटो डे के अवसर पर लोग एक चौराहे पर खड़े होकर एक दूसरे पर टोमेटो फेंकते हैं। इतने टमाटर फेक जाते हैं की आदमी लाल लाल हो जाता है।
कुछ देशों में मड डे मनाया जाता है, जिसमें लोग कीचड़ में लोटते फिरते हैं। तो भारत में कीचर के साथ-साथ रंगों में भी लोग शराबोर होते हैं। मानव के शरीर में कई तरह के कलर पिगमेंट होते हैं। इस कलर पिगमेंट के लिए लोग अलग से कुछ नहीं करते हैं। कुछ समय बाद लोगों के शरीर में कलर पिगमेंट की एफिशिएंसी हो जाती है। इस कलर पिगमेंट की भरपाई करने के लिए रंगों का त्योहार होली मनाया जाता है। जब रंगों से लोग रंग जाते हैं तो उनके शरीर में कई तरह के पिगमेंट का भरपाई हो जाता है।
होली खेलने में क्या सावधानी बरतना चाहिए?(HOLI Feast and HOLIKA DAHAN Celebration 2024 )
आज होली खेलने के लिए लोग कृत्रिम रंगों का उपयोग करते हैं। कृत्रिम रंग में लीड और मरकरी होता है। यह लेड और मरकरी मानव मस्तिष्क और आंखों के लिए नुकसानदायक है। इसलिए होली खेलने के लिए प्राकृतिक रंगों का उपयोग करना चाहिए।
FAQ’ s:
Q1. होली 2024 में कब है?
उत्तर: 2024 में होली सोमवार 25 मार्च 2024 को है और होलिका दहन 24 मार्च 024 को मनाया जायेगा।
Q2. होलिका किसकी बहन थी?
उत्तर: होलिका हिरणकश्यप नामक एक राजा की बहन थी। होलिका को यह वरदान प्राप्त था की वह आग में नहीं जलेगी।
Q3. होलिका की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर: होलीका हिरणकश्यप की बहन थी जो कि हिरणकश्यप की बात मानकर अपने भतीजे प्रहलाद को गोदी में लेकर अग्नि में बैठ गई। क्योंकि होलिका को यह वरदान मिला था की वह आग में जल नही सकती इसीलिए अपने भाई के कहने पर वह आग में बैठ तो गई लेकिन, होलिका स्वयं जलकर भस्म हो गई और प्रह्लाद जिंदा ही बाहर आ गया।
Q4. होली पर किस भगवान की पूजा की जाती है?
उत्तर: होली समारोह में तीन हिंदू देवताओं भगवान विष्णु भगवान कृष्ण और देवी राधा के सम्मान में मंदिरों और सांस्कृतिक जगह पर यह आयोजित किए जाते हैं।
Q5. होलिका दहन क्यों किया जाता है?
उत्तर : हिरण कश्यप के कहने पर जब होलिका अपने भतीजे प्रहलाद को गोदी में लेकर अग्नि में बैठती है तो वह स्वयं जलकर भस्म हो जाती हैं और प्रह्लाद बच जाते हैं। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि हिरणकश्यप के मरने से पहले ही होलिका के रूप में बुराई जल गई और अच्छाई के रूप में भक्त प्रहलाद बच गए इस वजह से बुराई को खत्म करने के लिए होली से पहले होलिका दहन मनाया जाता है।
Conclusion :
तो उम्मीद है दोस्तों आपको यह (HOLI Feast and HOLIKA DAHAN Celebration 2024) जानकारी अच्छी लगी होगी , अगर फिर भी कोई प्रश्न या सुझाव हो तो आप हमें कमेंट में पूछ सकते है। आपकी पूरी मदद की जाएगी। अगर आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया है तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें।
धन्यवाद!
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