Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga 2024 (नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं, माता दुर्गा की शक्ति और साहस का उत्सव)

नमस्कार दोस्तों,

यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत और अंधकार पर प्रकाश की जीत का त्योहार है। यह त्योहार (Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga 2024) दुनिया की रक्षा करने की ईश्वर की शक्ति का प्रतीक है। इन सब बातों को आज हम विशेष रूप से जानेंगे। अगर आप भी दुर्गा पूजा त्योहार के बारे Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga 2024 (नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं, माता दुर्गा की शक्ति और साहस का उत्सव) में जानकारी चाहते है तो हमारे इस पोस्ट को ध्यानपूर्वक पढ़ना होगा।

Disclaimer (डिस्क्लेमर) : यह पोस्ट लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए एनसीसी इन्फो (Nccinfo) उत्तरदायी नहीं है।

Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga 2024
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दुर्गा पूजा 2024 : (Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga 2024 (नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं, माता दुर्गा की शक्ति और साहस का उत्सव)

दुर्गा पूजा पूरे भारत में, विशेषकर पश्चिम बंगाल में धूमधाम से मनाई जाती है। यह राक्षस राजा महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत, अंधकार पर प्रकाश और दुनिया की रक्षा करने की ईश्वर की शक्ति का प्रतीक है।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत और अंधकार पर प्रकाश की जीत का त्योहार है। यह त्योहार (Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga 2024) दुनिया की रक्षा करने की राक्षस महिषासुर को एक वरदान प्राप्त था जिसने उसे लगभग अमर बना दिया था। उसने स्वर्ग और पृथ्वी को आतंकित कर दिया और अपना कहर और दुख सबको देने लगा। इस दुख के निवारण हेतु देवताओं ने देवी दुर्गा का निर्माण किया, जिन्होंने विभिन्न देवताओं की शक्तियों को संयोजित किया। भीषण युद्ध के बाद उन्होंने महिषासुर को परास्त किया और शांति एवं व्यवस्था बहाल की।

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दुर्गा पूजा क्यों मनाते है? (Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga 2024 (नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं, माता दुर्गा की शक्ति और साहस का उत्सव)

दुर्गा पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो देवी दुर्गा की जीत का प्रतीक है। तो आइए जानते है इसकी पीछे कि कहानी क्या है, एक महिषासुर नामक एक शक्तिशाली राक्षस था, जिसने भगवान इंद्र को हराया और स्वर्ग पर कब्जा कर लिया। राक्षस महिषासुर को एक वरदान प्राप्त था जिसने उसे लगभग अमर बना दिया था।

इसके आतंक से बचने के लिए देवताओं ने देवी दुर्गा से मदद मांगी। देवी दुर्गा ने अपनी शक्ति से महिषासुर को हराया और स्वर्ग को उसकी आतंक से मुक्त किया। इस जीत के बाद, देवताओं ने देवी दुर्गा की पूजा की और उन्हें “दुर्गा” नाम दिया और तब से हर वर्ष इस दिन हम दुर्गा पूजा के नाम से यह त्योहार मनाते है। यह त्योहार (Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga 2024) बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दुर्गा पूजा नवरात्रि के दौरान मनाई जाती है,जो देवी दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है।

देवी दुर्गा के नौ रूप : (Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga Happy Navratri 2024 (नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं, माता दुर्गा की शक्ति और साहस का उत्सव)

  1. शैलपुत्री
  2. ब्रह्मचारिणी
  3. चंद्रघंटा
  4. कूष्मांडा
  5. स्कंदमाता
  6. कात्यायनी
  7. कालरात्रि
  8. महाकाली
  9. महागौरी

दुर्गा पूजा के दौरान लोग मंदिरों में जाते हैं, पूजा करते हैं, और देवी दुर्गा की आराधना करते हैं। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

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देवी दुर्गा के 9 रूपों का वर्णन: (Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga 2024 (नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं, माता दुर्गा की शक्ति और साहस का उत्सव)

  1. शैलपुत्री :
    शैलपुत्री देवी दुर्गा का पहला रूप है, जो भगवान शिव की पत्नी पार्वती का अवतार है। वह पहाड़ों की पुत्री है, इसलिए उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। वह शक्ति और सौंदर्य की प्रतीक है।
  2. ब्रह्मचारिणी :
    ब्रह्मचारिणी देवी दुर्गा का दूसरा रूप है, जो तपस्या और संयम की प्रतीक है। वह भगवान ब्रह्मा की पूजा करती हैं और अपने पति भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए तपस्या करती हैं।
  3. चंद्रघंटा :
    चंद्रघंटा देवी दुर्गा का तीसरा रूप है, जो शक्ति और साहस की प्रतीक है। वह अपने माथे पर चंद्रमा की आकृति धारण करती हैं और अपने हाथ में घंटा बजाती हैं।
  4. कूष्मांडा :
    कूष्मांडा देवी दुर्गा का चौथा रूप है, जो सृजन और विकास की प्रतीक है। वह अपने हाथ में कमल और अक्षमाला धारण करती हैं और अपने पेट से ब्रह्मांड को सृजित करती हैं।
  5. स्कंदमाता :
    स्कंदमाता देवी दुर्गा का पांचवां रूप है, जो भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता है। वह अपने पुत्र को अपनी गोद में बैठाकर रखती हैं और उसे सुरक्षा और शक्ति प्रदान करती हैं।
  6. कात्यायनी :
    कात्यायनी देवी दुर्गा का छठा रूप है, जो भगवान कात्यायन की पुत्री है। वह अपने हाथ में तलवार और ढाल धारण करती हैं और अपने दुश्मनों को पराजित करती हैं।
  7. कालरात्रि :
    कालरात्रि देवी दुर्गा का सातवां रूप है, जो समय और मृत्यु की प्रतीक है। वह अपने हाथ में तलवार और कपाल धारण करती हैं और अपने दुश्मनों को नष्ट करती हैं।
  8. महागौरी :
    महागौरी देवी दुर्गा का आठवां रूप है, जो शुद्धता और सौंदर्य की प्रतीक है। वह अपने हाथ में कमल और अक्षमाला धारण करती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
  9. महानवमी :
    महानवमी देवी दुर्गा का नौवां रूप है, जो ज्ञान और शक्ति की प्रतीक है। वह अपने हाथ में तलवार और पुस्तक धारण करती हैं और अपने भक्तों को ज्ञान और शक्ति प्रदान करती हैं।

दुर्गा पूजा का महत्व: (Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga 2024 (नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं, माता दुर्गा की शक्ति और साहस का उत्सव)

  1. बुराई पर अच्छाई की जीत
  2. देवी दुर्गा की शक्ति और महिमा का प्रतीक
  3. नवरात्रि के दौरान आध्यात्मिक साधना
  4. सामाजिक एकता और सहयोग
  5. संस्कृति और परम्परा का प्रतीक

दुर्गा माता के कुछ प्रमुख मंत्र हैं: (Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga 2024 (नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं, माता दुर्गा की शक्ति और साहस का उत्सव)

  1. “ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा दुर्गा शिवा शिवा शंभवी शंभवी ॐ”
  2. “ॐ श्री दुर्गायै नमः”
  3. “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे नमः”
  4. “दुर्गे दुर्गे शरणम् गच्छामि”
  5. “सर्वमंगला मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तुते”

इन मंत्रों का जाप करने से दुर्गा माता की कृपा और संरक्षण प्राप्त होता है।

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माता दुर्गा स्त्रोत : (Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga 2024 (नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं, माता दुर्गा की शक्ति और साहस का उत्सव)

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥


सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते
त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते
दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥


अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते
शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमालय शृङ्गनिजालय मध्यगते
मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥


अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्द गजाधिपते
रिपुगजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रमशुण्ड मृगाधिपते ।
निजभुजदण्ड निपातितखण्ड विपातितमुण्ड भटाधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥


अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते
चतुरविचार धुरीणमहाशिव दूतकृत प्रमथाधिपते ।
दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदुत कृतान्तमते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥


अयि शरणागत वैरिवधुवर वीरवराभय दायकरे
त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शुलकरे ।
दुमिदुमितामर धुन्दुभिनादमहोमुखरीकृत दिङ्मकरे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥


अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते
समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते ।
शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥


धनुरनुषङ्ग रणक्षणसङ्ग परिस्फुरदङ्ग नटत्कटके
कनकपिशङ्ग पृषत्कनिषङ्ग रसद्भटशृङ्ग हताबटुके ।
कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्बहुरङ्ग रटद्बटुके
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥


सुरललना ततथेयि तथेयि कृताभिनयोदर नृत्यरते
कृत कुकुथः कुकुथो गडदादिकताल कुतूहल गानरते ।
धुधुकुट धुक्कुट धिंधिमित ध्वनि धीर मृदङ्ग निनादरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥


जय जय जप्य जयेजयशब्द परस्तुति तत्परविश्वनुते
झणझणझिञ्झिमि झिङ्कृत नूपुरशिञ्जितमोहित भूतपते ।
नटित नटार्ध नटी नट नायक नाटितनाट्य सुगानरत
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥


अयि सुमनःसुमनःसुमनः सुमनःसुमनोहरकान्तियुते
श्रितरजनी रजनीरजनी रजनीरजनी करवक्त्रवृते ।
सुनयनविभ्रमर भ्रमरभ्रमर भ्रमरभ्रमराधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥


सहितमहाहव मल्लमतल्लिक मल्लितरल्लक मल्लरते
विरचितवल्लिक पल्लिकमल्लिक झिल्लिकभिल्लिक वर्गवृते ।
शितकृतफुल्ल समुल्लसितारुण तल्लजपल्लव सल्ललिते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥


अविरलगण्ड गलन्मदमेदुर मत्तमतङ्ग जराजपते
त्रिभुवनभुषण भूतकलानिधि रूपपयोनिधि राजसुते।
अयि सुदतीजन लालसमानस मोहन मन्मथराजसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥


कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते
सकलविलास कलानिलयक्रम केलिचलत्कल हंसकुले ।
अलिकुलसङ्कुल कुवलयमण्डल मौलिमिलद्बकुलालिकुले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥


करमुरलीरव वीजितकूजित लज्जितकोकिल मञ्जुमते
मिलितपुलिन्द मनोहरगुञ्जित रञ्जितशैल निकुञ्जगते।
निजगणभूत महाशबरीगण सद्गुणसम्भृत केलितले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga 2024
Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga 2024


कटितटपीत दुकूलविचित्र मयुखतिरस्कृत चन्द्ररुचे
प्रणतसुरासुर मौलिमणिस्फुर दंशुलसन्नख चन्द्ररुचे।
जितकनकाचल मौलिमदोर्जित निर्भरकुञ्जर कुम्भकुचे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥


विजितसहस्रकरैक सहस्रकरैक सहस्रकरैकनुते
कृतसुरतारक सङ्गरतारक सङ्गरतारक सूनुसुते ।
सुरथसमाधि समानसमाधि समाधिसमाधि सुजातरते ।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥


पदकमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं सुशिवे
अयि कमले कमलानिलये कमलानिलयः स कथं न भवेत्
तव पदमेव परम्पदमित्यनुशीलयतो मम किं न शिवे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥


कनकलसत्कलसिन्धुजलैरनुषिञ्चति तेगुणरङ्गभुवम्
भजति स किं न शचीकुचकुम्भतटीपरिरम्भसुखानुभवम्।
तव चरणं शरणं करवाणि नतामरवाणि निवासि शिवम्
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥


तव विमलेन्दुकुलं वदनेन्दुमलं सकलं ननु कूलयते
किमु पुरुहूतपुरीन्दु मुखी सुमुखीभिरसौ विमुखीक्रियते।
मम तु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुत क्रियते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥


अयि मयि दीन दयालुतया कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे
अयि जगतो जननी कृपयासि यथासि तथानुमितासिरते।
यदुचितमत्र भवत्युररीकुरुतादुरुतापमपाकुरुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga 2024
Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga Happy Navratri 2024

FAQ`s : (Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga 2024 (नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं, माता दुर्गा की शक्ति और साहस का उत्सव)

प्रश्न 1: नवरात्रि क्या है? (Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga 2024)
उत्तर: नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो माता दुर्गा की उपासना के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार 9 दिनों तक चलता है, जिसमें माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।

प्रश्न 2: नवरात्रि क्यों मनाया जाता है? (Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga 2024)
उत्तर: नवरात्रि माता दुर्गा की विजय का प्रतीक है, जिन्होंने महिषासुर नामक राक्षस को पराजित किया था। यह त्योहार शक्ति और साहस का प्रतीक है।

प्रश्न 3: नवरात्रि में कौनसे 9 रूपों की पूजा की जाती है? (Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga 2024)
उत्तर: नवरात्रि में माता दुर्गा के निम्नलिखित 9 रूपों की पूजा की जाती है:

  1. शैलपुत्री
  2. ब्रह्मचारिणी
  3. चंद्रघंटा
  4. कूष्मांडा
  5. स्कंदमाता
  6. कात्यायनी
  7. कालरात्रि
  8. महागौरी
  9. सिद्धिदात्री

प्रश्न 4: नवरात्रि के दौरान क्या उपवास रखा जाता है? (Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga 2024)
उत्तर: नवरात्रि के दौरान कई लोग उपवास रखते हैं, जिसमें वे 9 दिनों तक अन्न नहीं खाते हैं। यह उपवास माता दुर्गा की उपासना और आत्मशुद्धि के लिए किया जाता है।

प्रश्न 5: नवरात्रि के दौरान क्या विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं? (Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga 2024)
उत्तर: नवरात्रि के दौरान विभिन्न अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनमें माता दुर्गा की पूजा, आरती, भजन, और हवन शामिल हैं।

Conclusion: (Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga 2024 (नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं, माता दुर्गा की शक्ति और साहस का उत्सव)

दुर्गा पूजा (Celebrating the Triumphant Spirit of Goddess Durga 2024 नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं, माता दुर्गा की शक्ति और साहस का उत्सव) एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो हमें देवी दुर्गा की शक्ति और महिमा के बारे में याद दिलाता है और हमें बुराई पर अच्छाई की लड़ाई में प्रेरित करता है। अगर आपको हमारा ये पोस्ट पसंद आया तो इसे लाइक करें और अपने दोस्तों को शेयर करें।

धन्यवाद!

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